kabir das biography in hindi
Bio

Kabir Das – कबीर दास – जीवनी, जन्म, परिवार, शिक्षा, रचनाएँ और विचार

1. परिचय

कबीर दास भारतीय संत, समाज सुधारक और महान कवि थे, जिन्होंने भक्ति आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपने दोहों के माध्यम से समाज में फैली अंधविश्वास, जातिवाद और धार्मिक पाखंड की आलोचना की।
उनका संदेश था — “ईश्वर एक है” और “मानवता ही सच्चा धर्म है।”


📘 2. कबीर दास जी का जीवन परिचय (Wiki / Bio)

विशेषताविवरण
पूरा नामसंत कबीर दास
जन्म वर्षसन् 1398 (ईस्वी)
जन्म स्थानवाराणसी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु वर्षसन् 1518 (ईस्वी)
मृत्यु स्थानमगहर, उत्तर प्रदेश
धर्म / परंपरानिर्गुण भक्ति संप्रदाय
गुरुसंत रामानंद
भाषा / साहित्य शैलीसाखी, दोहा, रमैनी
प्रमुख रचनाएँबीजक, साखी ग्रंथ, कबीर ग्रंथावली
विचारधाराप्रेम, समानता, एकेश्वरवाद, मानवता

🌿 3. जन्म और प्रारंभिक जीवन

कबीर दास जी का जन्म वाराणसी के लहरतारा नामक स्थान पर सन् 1398 ईस्वी में हुआ था।
किंवदंती के अनुसार वे एक विधवा ब्राह्मणी से उत्पन्न हुए थे, जिन्हें एक जुलाहा दंपति — नीरू और नीमा — ने गोद लिया।
उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत बुनकर (जुलाहा) के रूप में की और अपना जीवन साधारण रूप में व्यतीत किया।


📖 4. शिक्षा और अध्यात्मिक गुरु

कबीर दास जी निरक्षर थे, लेकिन उनकी वाणी में गहरी आध्यात्मिकता और व्यावहारिक ज्ञान था।
उनके गुरु संत रामानंद थे, जिनसे उन्होंने भक्ति और ज्ञान का मार्ग सीखा।
कबीर ने ज्ञान, भक्ति और कर्म को एक साथ जोड़कर जीवन जीने की प्रेरणा दी।


✍️ 5. साहित्यिक योगदान

कबीर दास जी ने अपनी रचनाओं में समाज की बुराइयों, धार्मिक पाखंड, झूठे कर्मकांड और अंधविश्वास पर करारा प्रहार किया।
उनकी रचनाएँ सरल, जनभाषा (खड़ी बोली, अवधी और ब्रज) में थीं, जिससे आम लोग भी उनके विचारों को समझ सकें।
उनके दोहे आज भी सत्य, भक्ति और नैतिकता का मार्ग दिखाते हैं।


📜 6. प्रमुख रचनाएँ और दोहे

प्रमुख रचनाएँ:

  • बीजक

  • साखी संग्रह

  • रमैनी

  • कबीर ग्रंथावली

प्रसिद्ध दोहे:

“बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,
जो मन खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।”

“काल करे सो आज कर, आज करे सो अब,
पल में प्रलय होएगी, बहुरि करेगा कब।”

“पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।”


💬 7. विचारधारा और दर्शन

कबीर दास जी के विचार सर्वधर्म समभाव और निर्गुण भक्ति पर आधारित थे।
वे न हिंदू थे न मुसलमान — वे केवल “मानव” थे।
उनका दर्शन था:

  • ईश्वर सर्वव्यापक है — वह हर व्यक्ति के भीतर है।

  • धर्म कर्मकांड में नहीं, बल्कि प्रेम और करुणा में है।

  • जात-पात, ऊँच-नीच सब व्यर्थ हैं।

कबीर जी ने लोगों से कहा कि मंदिर-मस्जिद में नहीं, अपने भीतर झाँको — वहीं परमात्मा मिलेगा।


🌸 8. कबीर दास जी की मृत्यु

कबीर दास जी ने अपने जीवन का अंतिम समय मगहर (उत्तर प्रदेश) में व्यतीत किया।
कहा जाता है कि मृत्यु के समय हिंदू और मुसलमान दोनों उनके शरीर का अंतिम संस्कार अपने-अपने रीति से करना चाहते थे।
जब चादर हटाई गई, तो वहाँ केवल फूल मिले — जिससे दोनों समुदायों ने आधे-आधे फूल बाँटकर अपने-अपने तरीके से अंतिम संस्कार किया।
यह घटना उनकी सार्वभौमिकता और एकता के संदेश का प्रतीक मानी जाती है।


🌼 9. महत्वपूर्ण तथ्य (Key Facts)

  1. कबीर जी ने सगुण और निर्गुण भक्ति के बीच सेतु का कार्य किया।

  2. वे निरक्षर होते हुए भी महान कवि थे।

  3. उनके अनुयायी कबीर पंथी कहलाते हैं।

  4. उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश दिया।

  5. उनका जन्म और मृत्यु स्थल आज भी तीर्थ स्थलों के रूप में पूजनीय हैं।


🪶 10. निष्कर्ष

कबीर दास जी भारतीय संस्कृति के ऐसे संत कवि हैं जिनकी वाणी युगों-युगों तक प्रासंगिक रहेगी।
उन्होंने प्रेम, समानता, सच्चाई और भक्ति का जो संदेश दिया, वह आज भी समाज को राह दिखाता है।
उनका जीवन सादगी, ज्ञान और करुणा का प्रतीक है — और उनकी वाणी, एक अमर प्रेरणा।


🙏 11. FAQs

प्रश्न 1. कबीर दास जी का जन्म कब हुआ था?
उत्तर: सन् 1398 ईस्वी में वाराणसी के लहरतारा गाँव में।

प्रश्न 2. कबीर दास जी के गुरु कौन थे?
उत्तर: संत रामानंद

प्रश्न 3. कबीर जी की प्रमुख रचना कौन-सी है?
उत्तर: बीजक उनकी प्रमुख रचना है।

प्रश्न 4. कबीर दास जी ने कौन-सी भाषा में लिखा?
उत्तर: कबीर दास जी ने साधारण जनभाषा (खड़ी बोली, ब्रज, अवधी) में लिखा।

प्रश्न 5. कबीर दास जी की मृत्यु कहाँ हुई थी?
उत्तर: मगहर (उत्तर प्रदेश) में सन् 1518 ईस्वी में।